Tuesday, 22 April 2014

*imran partapgarhi* ख्वाब …………।

*imran partapgarhi*
ख्वाब …………।

एक ऐसा ख्वाब, जिसे देखने के बाद अपनी आँखों की नींद क़ुर्बान करनी पड़े !
एक ऐसा ख्वाब, जिसे देखने के बाद अपनी तमाम बचकानी ख्वाहिशें क़ुर्बान करनी पड़ें !
एक ऐसा ख्वाब, जिसे देखने के बाद अपने वजूद का मक़सद नज़र लगे !!

हाँ,

एक ऐसा ही ख्वाब देखा था आज से डेढ़ साल पहले मैंने !!
क़ौम और समाज कि बेहतरी के लिए एक कॉलेज बनाने का ख्वाब !!

तब से मेरी इन मासूम आँखों में किसी महबूबा के नहीं,
बल्कि ईंट और दीवारों के ख्वाब हुआ करते थे !

पढ़ते हुए मासूम-मासूम बच्चे हुवा करते थे !

सम्हलती हुयी क़ौम हुआ करती थी !!

बदलता हुआ मेरा समाज हुआ करता था !!

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