*imran partapgarhi*
दिल बहोत बेचैन है,अजीब सी कशमकश है,
लोगों की उम्मीदों का बेतहाशा बोझ है कांधों पर !!
सुबह से गाड़ी सड़क पे भाग रही है.……………………।
किसी गुमनाम से शायर की ग़ज़ल गूँज रही है फ़ुल वॉल्यूम में !!
आँखों से मेरी इसलिए लाली नहीं जाती,
यादों से कोई रात जो खाली नहीं जाती !
आये कोई आकर ये तेरे दर्द सम्हाले ,
हमसे तो ये जागीर सम्हाली नहीं जाती !
मांगे तू अगर हंस के तो ये जान भी दे दें,
तेरी तो कोई बात भी टाली नहीं जाती !
हम जान से जायेंगे तभी बात बनेगी,
तुमसे तो कोई राह निकाली नहीं जाती !!
Dil bahot bechain hai,
Ajeb si kashmakash hai,
Logon ki ummidon ka betahasha bojh hai kandhon par !!
Subah se gadi sadak pe bhag rahi hai.
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