Wednesday, 16 April 2014

Ahmad Junaid the fan of imran prtapgarhi

*Imran prtapgarhi*
हुआ जो भी वो सब यकायक नहीं था,
यही सच है वो तेरे लायक नहीं था।
न टपके ज़मीं पर कोई अश्क बह के,
दिखा दो ये उसका दिया ग़म भी सह के।
ये आंसू हैं मोती इन्हें मत लुटाओ,
तुम्हें है कसम तुम ज़रा मुस्कुराओ।
नहीं बांटने से हंसी ख़त्म होती। यहीं पर..........

Hua jo bhi vo sab yakayak nahi tha....!!
yahi sach ke vo tere layak nahi tha...!!
na tapke zami par koi ashq bah ke...!!
dikha do ye uska gam bhi sah ke...!!
ye aansu he moti unhe mat lutavo..!!
tumhe he kasam tum jara muskuravo..!!
nahi bantne se hansi khatm hoti ...Yahi par...!!

तुम इस तरह ख़ुद को अकेले न छोड़ो,
ये दुनिया, ये दुनिया के मेले न छोड़ो।
अगर उसकी यादें हैं दिल से भुलाना,
मेरा गीत ये साथ लेकर के जाना।
तुम्हें बीते दिन याद बरबस दिलाकर,
तेरे टूटे दिल को यूं ढांढस बंधाकर।
है इमरान की शायरी ख़त्म होती। यहीं पर.....

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