Saturday, 28 March 2015
रात बेहद कामयाब और मुहब्बतों भरी रही !
IMRAN BHAI
رات انتہائی کامیاب اور مهببتو بھری رہی!
گوپال گنج کے پورے سرکاری عملے نے رات 2 بجے تک بیٹھ کر نظم / شاعری کا مزہ لیا !!
یہ میرے دوست ہیں فیض صاحب
ان کے ساتھ نکلا ہوں سمستی پور کے لیے !!
آج رات سمستی پور کے نام!
रात बेहद कामयाब और मुहब्बतों भरी रही !
गोपालगंज के पूरे सरकारी अमले ने रात 2 बजे तक बैठ कर कविता/शायरी का मज़ा लिया !!
ये मेरे दोस्त हैं फ़ैज़ साहब
इनके साथ निकला हूं समस्तीपुर के लिये !!
आज रात समस्तीपुर के नाम !
गोपालगंज के पूरे सरकारी अमले ने रात 2 बजे तक बैठ कर कविता/शायरी का मज़ा लिया !!
ये मेरे दोस्त हैं फ़ैज़ साहब
इनके साथ निकला हूं समस्तीपुर के लिये !!
आज रात समस्तीपुर के नाम !
वही हंगामे,
IMRAN PARTAPGARHI
وہی ہنگامے،
وہی دیوانگی !!
بہار کے دونوں شاعر کانفرنس / مشاعروں کی نذامت کا ذمہ بھی میرے ہی کاندھوں پر رہا !!
شکریہ بہار والوں !!
آج رات علیگڑھ یونیورسٹی کے مشاعرے کے نام !!
گزشتہ 3 دن سے دل میں ہاشم پورہ کا درد لمحے رہا ہے ...... دعا کریے خدا آج پٹنہ سے دہلی کی فلائٹ کے دوران ایک ایسی نظم كهلوا دے کہ پڑھتے پڑھتے خود میرا دامن بھیگ جائے !!
वही हंगामे,
वही दीवानगी !!
वही दीवानगी !!
बिहार के दोनों कवि सम्मेलन/मुशायरों की निज़ामत का ज़िम्मा भी मेरे ही कांधों पर रहा !!
शुक्रिया बिहार वालों !!
आज रात अलीगढ युनिवर्सिटी के मुशायरे के नाम !!
पिछले 3 दिन से दिल में हाशिमपुरा का दर्द पल रहा है……दुआ करिये खुदा आज पटना से दिल्ली की फ़्लाइट के दौरान एक ऐसी नज़्म कहलवा दे कि पढते पढते खुद मेरा दामन भीग जाये !!
कोई बताये मुझे, कोई समझाये मुझे,,
HASHIMPURA
کوئی بتائے مجھے، کوئی سمجھايے مجھے،،
رو رہا ہے دل میرا کوئی چپ کرائے مجھے!
اٹٹھاس سالوں کا لمبا انتظار ہے،
انصاف والا ہر ایک وعدہ بیکار ہے!
ہاشم پورہ کی یہی چیخ ہے پکار ہے،
آخر ان لاشوں کا کون ذمہ دار ہے ؟؟
کوئی سمجھايے مجھے .............
रो रहा है दिल मेरा कोई चुप कराये मुझे !
अट्ठाइस सालों का लम्बा इन्तज़ार है,
इन्साफ़ वाला हर एक वादा बेकार है !
हाशिमपुरा की यही चीख़ है पुकार है,
आखिर उन लाशों का कौन ज़िम्मेदार है ??
कोई समझाये मुझे…………॥
तू है आफ़ताब तो मैं जुगनुओं के साथ हूं,
IMRAN PARTAPGARHI
تو ہے آفتاب تو میں جگنو کے ساتھ ہوں،
ملک تیرے سامنے میں آنسوؤں کے ساتھ ہوں !!
پھول ہیں اداس تمام كليا حیران ہیں،
ہاشم پورہ کی تمام گلیاں حیران ہیں!
پلکوں سے دامن تک آنسوؤں کی دھار ہے،
آخر ان لاشوں کا کون ذمہ دار ہے !!
رات اے ایم یو کا مشاعرہ کیا تھا ...... بس قیامت تھا !!
تصاویر بول رہی ہیں !!
شکریہ علیگڑھ
آج رات،
کلکتہ (كمرهٹٹي) کے نام
तू है आफ़ताब तो मैं जुगनुओं के साथ हूं,
देश तेरे सामने मैं आंसुओं के साथ हूं !!
फूल हैं उदास सभी कलियां हैरान हैं,
हाशिमपुरा की सभी गलियां हैरान हैं !
देश तेरे सामने मैं आंसुओं के साथ हूं !!
फूल हैं उदास सभी कलियां हैरान हैं,
हाशिमपुरा की सभी गलियां हैरान हैं !
पलकों से दामन तक आंसुओं की धार है,
आखिर इन लाशों का कौन ज़िम्मेदार है !!
आखिर इन लाशों का कौन ज़िम्मेदार है !!
रात ए एम यू का मुशायरा क्या था……बस क़यामत था !!
तस्वीरें बोल रही हैं !!
शुक्रिया अलीगढ
आज रात,
कलकत्ता (कमरहट्टी) के नाम
कलकत्ता (कमरहट्टी) के नाम
Wednesday, 18 March 2015
ये किसने कह दिया तुमसे कि इनका बम से रिश्ता है
یہ کس نے کہہ دیا تم سے کہ ان کا بم سے رشتہ ہے،
بہت ہیں زخم سینے میں فقط مرہم سے رشتہ ہے!
وہ تم ہو جو تجارت کرتے ہو بارود کی صاحب،
یہ يما والے ہیں ان کا تو بس ذمذم سے رشتہ ہے !!
شکریہ اترولا والوں !!!
صبح کے 4 بجے تک موجود ہزاروں کی تادات میں لوگ!
مزہ آ گیا آپ سب سے مل کر !!
ये किसने कह दिया तुमसे कि इनका बम से रिश्ता है,
बहुत हैं ज़ख्म सीने में फक़त मरहम से रिश्ता है !
वो तुम हो जो तिजारत करते हो बारूद की साहब,
ये ईमां वाले हैं इनका तो बस ज़मज़म से रिश्ता है !!
शुक्रिया उतरौला वालों !!!
सुबह के 4 बजे तक मौजूद हज़ारों की तादात में लोग !
मज़ा आ गया आप सब से मिल कर !!
Ye kisne kah diya tumse ki inka Bam se rishta hai,
Bahot hain zakhm sine me faqat Marham se rishta hai !
Wo tum ho jo tijarat karte ho Barood ki sahab,
Ye ima'n wale hain inka to bas Zamzam se rishta hai !!
Shukriya Utraola walon !
Subah ke 4 baje tak maojood hazaron ki tadat me log !
Maza aa gaya aap sab se mil kar !
Thursday, 12 March 2015
IMRAN BHAI & SALMAN ZAFAR BHAI
IMRAN BHAI & SALMAN ZAFAR BHAI
"میرے ان حوصلہ مند نے اور نہ ہی پیروں نے روکا ہے .. !!
جو لپٹے ہیں میرے خون سے انہی رشتوں نے روکا ہے .. !!
میں تیرے ساتھ چلنے کے لئے تیار تھا، لیکن .. !!
مجھے ماں باپ کے اترے ہوئے چہروں نے روکا ہے .. !! "
"मेरे इन हौसलों ने और न ही पैरों ने रोका है..!!
जो लिपटे हैं मेरे खूं से उन्हीं रिश्तों ने रोका है..!!
मैं तेरे साथ चलने के लिए तैयार था, लेकिन..!!
मुझे माँ बाप के उतरे हुए चेहरों ने रोका है..!!"
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