imran partapgarhi
सात समंदर पार.....!
मस्कत सिटी सेंटर मॉल के काफी शाप का एक लम्हा !
फरीहा परवेज़ की खूबसूरत आवाज़ मद्धम मद्धम गूँज रही है !
हर घडी ना जाने क्यूँ आसपास रहते हो,
तुम अजीब मौसम हो बस उदास रहते हो !
एक दिन बिछड़ना है जानती हूँ मै लेकिन,
तुम अभी से क्यूँ साहब बदहवास रहते हो !!
मेरे मुल्क की मिट्टी
तेरी बहोत याद आ रही है
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