Thursday, 1 May 2014

imran bhai

*imran partapgarhi*
हाँ मुझे लड़ना है......!
अपने बुजुर्गों की पेशानी की झुर्रियों में सिमटे हुए दर्द के लिए !
अपने इन मासूम बच्चों के मुस्तकबिल के लिए
मै जंग लड़ने चला हूँ तेरे भरोसे पर,
मेरे खुदा मेरी आवाज़ में असर देना !

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